बद्रीनाथ मार्ग पर भूस्खलन : उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण भूस्खलन हुआ है, विशेषकर बद्रीनाथ मार्ग पर, जिससे यातायात अस्त-व्यस्त हो गया है और पहाड़ी क्षेत्रों में मानसून अलर्ट का स्तर बढ़ा दिया गया है।
उत्तराखंड में मानसून ने बरपाया प्रकृति का कहर
पिछले कुछ दिनों में उत्तराखंड में मानसून ने ज़ोर पकड़ लिया है और ज़रूरी बारिश तो लाई है, लेकिन तबाही भी मचाई है। इस बारिश ने जहाँ गर्मी से राहत दी है, वहीं स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए मुसीबतें खड़ी कर दी हैं। बद्रीनाथ मार्ग पर हुआ भूस्खलन मानसून के दौरान इस क्षेत्र की नाज़ुकता का ताज़ा उदाहरण है।

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बद्रीनाथ मार्ग पर भूस्खलन: एक बड़ा झटका
भारी बारिश के कारण बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर लामबगड़ के पास एक बड़ा भूस्खलन हुआ, जिससे इस महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा मार्ग का मार्ग अवरुद्ध हो गया। पहाड़ियों से चट्टानें और मलबा गिरने से कई वाहन फँस गए। अधिकारी तुरंत मौके पर पहुँचे, लेकिन ऐसे भूभाग में मलबा हटाना आसान काम नहीं था। बद्रीनाथ मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रियों को घंटों इंतज़ार करना पड़ा, कुछ को तो सुरक्षा कारणों से वापस लौटना पड़ा।
बचाव और राहत कार्य ज़ोरों पर
जिला प्रशासन आपदा प्रतिक्रिया टीमों के साथ मिलकर सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहा है। भारी मशीनरी तुरंत तैनात की गई और स्थानीय पुलिस ने यातायात को डायवर्ट किया और फंसे हुए पर्यटकों को आश्रय प्रदान किया। चूँकि यह इलाका दुर्गम है और स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, इसलिए चिकित्सा दल भी पास में तैनात हैं।
उत्तराखंड में मानसून का प्रभाव
सिर्फ़ बद्रीनाथ मार्ग ही प्रभावित नहीं हुआ है। चमोली, रुद्रप्रयाग और पौड़ी में भी सड़कें अवरुद्ध हैं, नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है और अचानक बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। मौसम विभाग द्वारा रेड अलर्ट जारी किए जाने के कारण देहरादून के स्कूल दिन भर के लिए बंद कर दिए गए हैं।
मानसून अलर्ट: सतर्क रहें, सुरक्षित रहें। यूएसडीएमए ने इस सप्ताह के लिए हाई अलर्ट जारी किया है। भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने और अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी गई है, खासकर पहाड़ी रास्तों पर। तीर्थयात्रियों से चार धाम यात्रा पर जाने से पहले मौसम की जानकारी और सड़क की स्थिति की जाँच करने को कहा गया है।
स्थानीय आवाज़ें: डर और लचीलापन
स्थानीय लोग मानसून के दोहरे चरित्र से अच्छी तरह वाकिफ हैं। जोशीमठ के एक दुकानदार रमेश रावत ने कहा, “हर साल हम इसके लिए तैयारी करते हैं। हम खाने-पीने की चीज़ें और दवाइयाँ इकट्ठा करते हैं और आपातकालीन संपर्कों के संपर्क में रहते हैं। लेकिन जब पहाड़ हिलते हैं, तो कोई भी तैयारी काफ़ी नहीं लगती।”
चुनौतियों के बावजूद, उत्तराखंड के लोगों का हौसला मज़बूत बना हुआ है। स्वयंसेवक, स्थानीय लोग और अधिकारी मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे एक बार फिर साबित हो रहा है कि संकट के समय में मानवता की जीत होती है।
प्रकृति की याद और मानवीय प्रतिक्रिया
मानसून उत्तराखंड में पूरे ज़ोर से आ पहुँचा है—अपने साथ सुंदरता, आशीर्वाद और कुछ अपरिहार्य खतरे लेकर। बद्रीनाथ मार्ग पर भूस्खलन हमें हिमालय के नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र की याद दिलाता है, इसलिए तैयारी, समय पर अपडेट और सामुदायिक समन्वय ही सबसे अच्छा बचाव है।